Thursday, September 26, 2024
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कोविड-19 :लक्षण, बचाव और न्यूनतम जानने योग्य तथ्य

  • डॉ. विष्णुस्वरुप, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नईदिल्ली, भारत 
  • डॉ. हिमांशु नारायण सिंह, ऐक्समार्सिले विश्विविद्यालय, मार्सिले, फ्रांस

 

1 .कोविड-19 / नोवल कोरोना वायरस क्या है ?

कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण फैलाने वालेकई प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का एक समूह है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। इस नए किस्म के कोरोना वायरस (2019-nCoV) के संक्रमण की शुरुआत चीन के वुहान शहर से 2019 के मध्य दिसंबर में हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में इसे महामारी घोषित कर दिया है और इसे नाम COVID-19/2019 नोवेल कोरोनावायरस (2019 novel coronavirus / 2019-nCoV)दिया गया है।इसे सार्सकोव (SARS-CoV-2) भी कहते हैं।

कोरोना वायरस बहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है और मानव के बाल की अपेक्षा 900 गुना छोटा है। आज भारत समेत लगभग पूरी दुनिया इस कोरोना वायरस से निर्मित महामारी का सामना कर रही है। इस महामारी का संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा है कि विश्व में किसी भी देश के लिए इसे नियंत्रित कर पाना असंभव लग रहा है।इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक है कि हमारे पास सही जानकारी हो, और हम सावधान तथा जागरूक रहें जिससे इसेकाबू में किया जा सके।

Microscopic view of Coronavirus, a pathogen that attacks the respiratory tract. Analysis and test, experimentation.

2.   कोरोना वायरस कैसे फैलता है?

सार्स-कोव-२नामक यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और इससे प्रभावित एक व्यक्ति अनेक स्वस्थ लोगों तक वायरस को फैला सकता है। जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं। इन कणों में कोरोना वायरस होते हैं।संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणु युक्त कण सांस के रास्ते दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकते हैंअथवा कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण उस केशरीर में पहुंचते हैं।ये वायरस स्वयं निर्जीव है अर्थात् वे केवल एक सीमित अवधि के लिए ही जीवित रह सकते हैं।इसलिए,इन्हें अस्तित्व में रहने के लिए जीवों (मेजबान) की आवश्यकता होती है और मनुष्य एक ऐसा ही मेज़बान है।इसके संक्रमण का स्तर हल्के से घातक तक हो सकता है और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

3. इस बीमारी के लक्षण क्या हैं?

कोरोनावायरस ऊपरी श्वसन पथ (साइनस, नाक और गले) या निचले श्वसन पथ (विंडपाइप और फेफड़े) को प्रभावित कर सकता है।यह मुख्यतः मनुष्य  के फेफड़ों को संक्रमित करता है। यहमाना जा रहा है किकोरोना वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने में औसतन 5से 14 दिनों का वक्त लग सकता है लेकिन कुछ लोगों में यह वक्त कम भी हो सकता है।

इसके लक्षण सार्स / फ्लू (SARS / Flu) से काफी मिलते-जुलते हैं।इसके सामान्य लक्षण तेज बुख़ार, सूखी खांसी,गले में खराश, सिरदर्द, डायरिया (दस्त)और थकान महसूस होनाहैं।कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में निमोनिया, सांस लेने में बहुत ज़्यादा परेशानी, किडनी फ़ेल होना और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। कुछ मामलों में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है खास तौर पर बुजुर्ग, बच्चे या वो व्यक्ति जिन्हें पहले से ही अस्थमा, मधुमेह,फेफड़े की बीमारी,गंभीर मोटापा, पुरानी किडनी या यकृत या दिल की बीमारी है। वृद्ध लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से जल्दी प्रभावित होते हैं क्यों कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती हैजो इन्हें संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बना देती है।

जैसे-जैसे दुनिया में बीमारी बढ़ती है, इस सूची में और अधिक लक्षण जोड़े जा सकते हैं।हाल में आए बहुत से मामलों में पाया गया है कि कुछ खाने पर स्वाद महसूस होना और किसी चीज़ की गंध का महसूस होना भी कोरोना वायरस का लक्षण हो सकता है। इन लक्षणों का हमेशा मतलब यह नहीं है कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण है। यह लक्षणएक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं; कुछ लोगो में हल्के लक्षण जबकि कुछ लोगो में कोई लक्षणनहीं भी हो सकता है।

4 .COVID-19 का परीक्षण :

COVID-19 के लिए तीन प्रकार के परीक्षण उपलब्ध हैं:

  • वर्तमान संक्रमण के लिए परीक्षण (viral tests),
  • पिछले संक्रमण के लिए परीक्षण (antibody tests) and
  • तेजी से नैदानिक परीक्षण (antigen tests).

आरटी-पीसीआर विधि (RT-PCR; reverse transcriptase polymerase chain reaction; a molecular test method) जिसमें संदिग्ध व्यक्ति के नाक और गले (थूक, गले की सूजन) से नमूना वायरस कीआनुवंशिक सामग्री (genetic material) पहचानने के लिए लिया जाता है। एंटीबॉडी परीक्षण में, रक्त का नमूना लिया जाता हैजिसमें संक्रमण के खिलाफ उस प्रोटीन (एंटीबॉडी) का अध्ययन करते हैं जो मेजबान पर हमला करने वाले बाहरी कणों (वायरस) से लड़ता है।आरटी-पीसी आर अत्यधिक सटीक, अधिक समय लेने वाला और महंगा तरीका है जबकि एंटीबॉडी परीक्षण त्वरित और कम लागत वाली विधि है। इसविधि से गलत रिपोर्ट मिलने की सम्भावना बहुत कम होती है। अन्य प्रकार का COVID-19 परीक्षण रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (RDT) है जो किसी व्यक्ति के श्वसन पथ से लिए गए नमूने में COVID -19 वायरस द्वारा व्यक्त वायरल प्रोटीन (एंटीजन) की उपस्थिति का पता लगाता है। यदि लक्षित एंटीजन रक्त में पर्याप्त मात्रा में मौजूद है तो वह किट के केमिकल के साथ मिलकर वायरस की उपस्थिति की पुष्टि करताहै। इसलिए, ऐसे परीक्षणों का उपयोग तीव्र या प्रारंभिक संक्रमण की पहचान करने के लिए किया जाता है।

5.   कोरोनावायरस का क्या इलाज है?

वर्तमान में कोरोनावायरस से बचने के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। कोई भीएंटी वायरल दवाई मौजूद नहीं है। केवलरोगियों को रोगसूचक उपचार दिया जाता है। चूंकि यह एक वायरल संक्रमण है, इसलिए अधिकतर कोरोनावायरस से संक्रमितलोग आराम करने और लक्षणात्मकदवा लेने से ठीक हो सकते हैं। अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत तब होती है जब व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आनी शुरू हो जाए।मरीज़ के फेफड़ों की जांच कर डॉक्टर इस बात का पता लगाते हैं कि संक्रमण कितना बढ़ा है और क्या मरीज़ को ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की ज़रूरत है। कोरोना वायरस का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज़ के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर ख़ुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए।

कुछ दवाएं जिनका उपयोग अन्य वायरल रोगों के लिए किया गया है उनका ही प्रयोग कोरोनावायरससंक्रमण मेंअभी किया जा रहा है। सबसे चर्चित हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) एक एंटी-मलेरियादवा है जिसमें एंटीवायरल गुण देखे गए हैं।COVID-19 के रोगियों पर प्रयोगशाला में इसकी क्षमता साबित करने के लिए कई नैदानिक ​​परीक्षण चल रहे हैं।इसकेअलावा अन्य दवाएं जैसे रिफैम्पिसिन (एंटी-ट्यूबरकुलोसिस), रेमेडिसविर (एंटी-इबोला वायरस),रितोनवीर/लोपिनवीर संयोजन (एंटी-एचआईवी) भी COVID-19 के लिए पर प्रयोग की कोशिश की जा रही है है।

अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है,हालांकि वैक्सीन के नैदानिक ​​परीक्षणअभी भी चल रहा है जो टीके संभावित वायरस के भविष्य के संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करेगें। इस वायरसका एक सफल और प्रभावी टीका बननेमेंऔर समय लगेगा। कई देश इस कोरोनावायरस के संक्रमण से मनुष्यों की रक्षा करने के लिए वैक्सीन विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं।परंतुजब तक कोई टीका उपलब्ध नहींहो जाता तब तक इससे बचने के लिए कुछ चीजें कर सकते हैंजैसे कीअपने हाथों को साबुन और पानी के साथ कम से कम 20 सेकेंड तक धोएं. बिना धुले हुए हाथों से अपनी आंखों, नाक या मुंह को न छूएं, जो लोग बीमार हैं उनके ज्यादा नजदीक न जाएं।

हालांकि, COVID-19 में आप के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।मजबूत प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति में इस बीमारी से हल्के लक्षण मिलते हैं और वह जल्द ही स्वत: ठीक भी हो जाता है। किसी की प्रतिरक्षा को मजबूत करने का सबसे उपयुक्त उपाय उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को रोजाना मजबूत किया जा जाएलेकिन यह एक दिन का काम नहीं है। इसके लिए भारत की आयुष मंत्रालय द्वारा अनुशंसित व्यायाम, योग, श्वास व्यायाम और औषधि का प्रयोग करके ऐसा किया जा सकता है ।

6.   निष्कर्ष

एकअत्यधिक संक्रामक वायुजनित रोग है जिसका अभी तक कोई प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं है।संक्रमण की संभावना से बचने के लिए केवल सावधानी बरतना ही सुरक्षित होने का तरीका है। प्रारंभिक संक्रमण को दूर करने और बीमारी से उबरने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना महत्वपूर्ण है।वर्तमान COVID-19 आपातकालीन स्थिति लोगों की सुरक्षा के लिए संभावित रणनीतियों का तत्काल विकास करने​ हेतु प्रेरित करती है।  

डॉ. विष्णु स्वरुप ,अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के तंत्रिका तंत्र विभाग में एक वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं।वह भारत में बहुधा पाये जाने वाले दिमागी गति विभ्रम रोगों पर क्रिस्परआधारित जीन के संपादन (gene editing) की दिशा में कार्य कर रहे हैं।वह इस तरह के रोगों में अत्यधिक उन्नत अगली पीढ़ी के डीएनए और आरएनए अनुक्रमण (sequencing) के विषय में भी काम कर रहे हैं ।

डॉ. विष्णु स्वरुप

डॉ. विष्णु स्वरुप ,अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के तंत्रिका तंत्र विभाग में एक वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं।वह भारत में बहुधा पाये जाने वाले दिमागी गति विभ्रम रोगों पर क्रिस्परआधारित जीन के संपादन (gene editing) की दिशा में कार्य कर रहे हैं।वह इस तरह के रोगों में अत्यधिक उन्नत अगली पीढ़ी के डीएनए और आरएनए अनुक्रमण (sequencing) के विषय में भी काम कर रहे हैं ।

Dr. Himashu

डॉ हिमांशु नारायण सिंह एक्समार्सिले विश्वविद्यालय, फ्रांस में एक पोस्ट डॉक्टोरल सदस्य के पद पर कार्यरत हैं।उनका शोध रोग पैथोफिजियोलॉजी की बेहतर समझ के लिए एपिजेनेटिक्स और ट्रांसक्रिप्शनल रेगुलेशन पर केंद्रित है।पिछले वर्षों में, उन्होंने असामान्य डीएनए संरचनाओं (DNA-triplex) और सामान्य डीएन एसंरचना को स्थिर करने वाली प्रशंसनीय दवाओं के लिए संभावित रूपांकनों का पता लगाया।

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