राम मंदिर एक ऐसा मुद्दा जो भाजपा के लिए हर वक्त जरुरी रहा भाजपा जब भी चुनाव मैदान में आती राम मंदिर का मुद्दा खुद बखुद आ जाता। ये आलम था राम मंदिर पर फैसला आने से पहले का, पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने और पीएम मोदी की लीडरशिप में बीजेपी के इस तरह से छाने से पहले अयोध्या गैर-भाजपा दलों के लिए अछूती सी थी। कोई भी अयोध्या जाकर रैली नहीं करता था या फिर राम मंदिर, हनुमानगढ़ी जैसे स्थानों के दर्शन करने से सभी राजनीतिक दल बचते थे। लेकिन पिछले कुछ सानों में यूपी की सियासत करवट ली है और अयोध्या अब यूपी के राजनीती का हॉटस्पॉट बनकर उभरी है। मायावती की बहुजन समाज पार्टी हो या अखिलेश की समाजवादी पार्टी के नेता अब अयोध्या सबके लिए जरुरी है। बीते सप्ताह शुक्रवार को बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने यूपी में ब्राह्मणों को लुभाने के लिए अपना प्रबुद्ध सम्मेलन अयोध्या अयोध्या से ही सुरु किया। आगामी लोकसभा चुनाव में अयोध्या का रोल देखते हुआ मन में ये सवाल आता है की अयोध्या यूपी की जरुरत या राजनैतिक दलों की जरुरत।
भाजपा की बात करें तो बीते साढ़े चार सालों में सीएम योगी आदित्यनाथ ने 20 बार अयोध्या का दौरा कर चुके है। ये कोई मामूली बात नहीं है ये इस बात को दर्शाता है कि यूपी जैसे सूबे के लिए और खासकर बीजेपी के लिए अयोध्या कितनी अहम है। यही नहीं सियासी गलियारों में अब इस बात की भी चर्चा है कि 2022 में सीएम योगी आदित्यनाथ यहीं से विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं। शायद यही वजह है कि अब दूसरी पार्टियों ने भी अयोध्या का रुख किया है और वे यह जताना चाहती हैं कि वे इससे अछूती नहीं हैं। बीजेपी सरकार अयोध्या को नए विकसित शहर के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश में है। अयोध्या में नए इंटरनेशनल एयरपोर्ट, वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन और रामायण सर्किट के तहत अन्य कई प्रोजेक्ट्स को बीजेपी सरकार ने अपने दौर में आगे बढ़ाया है।
समाजवादी पार्टी एक ऐसी पार्टी जिसपर आरोप लगा की ये हिन्दू विरोधी है, इन्होने राम भक्तों पर गोलियां और लड़ियाँ चलवाई और इस कड़ी में सपा भी अयोध्या से दुरी बनती दिखी, अकसर भगवान राम के बरक्स कृष्ण को खड़ा करने की राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी भी अब अयोध्या पर फोकस कर रही है।कुछ महीनों में अगर किसी राजनैतिक दल के रवैये में इतना बदलाव आता है तब लगता है की कुछ तो खिचड़ी पकाई जा रही है।
समाजवादी पार्टी के नेता और अयोध्या के पूर्व विधायक पवन पांडेय ने कहा, ‘संसद के सत्र के बाद हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पूरे राज्य का दौरा शुरू करेंगे और अयोध्या भी आएंगे। ‘ये वही समाजवादी पार्टी है जिसने अभी कुछ समाया पहले ही राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से की गई लैंड डील में भी गड़बड़ी का आरोप लगाया था। लेकिन चुनाव नजदीक आते -आते सुर- ताल बदल गए,हो सकता है की सूबे में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए या अपना वर्चस्व दोबारा स्थापित करने के लिए राजनैतिक दलों को राम लाला याद आ रहे हो और ये ‘हे राम तुम ही पालन हार’ के नारे से आगे चल रहे हो, पर सवाल तो किया जाएगा, ‘भैया जी राम जरुरी या राजनीति की मजबूरी’