सुप्रीम कोर्ट ने महिला अभ्यर्थियों के लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के दरवाजे फिलहाल तो खोल दिए हैं। अदालत ने लड़कियों को 5 सितंबर को होने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है। याचिका में योग्य महिला अभ्यर्थियों के NDA में दाखिले की अनुमति मांगी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए इसकी इजाजत दे दी है। हालांकि NDA में एडमिशन होगा या नहीं, यह अदालत के आखिरी फैसले पर निर्भर करेगा।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने अंतरिम आदेश जारी किया। याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को NDA जॉइन करने से दूर रखने पर संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 और 17 का उल्लंघन होता है। याचिकाकर्ता के अनुसार, लिंग के आधार पर महिला अभ्यर्थियों को NDA में एंट्री के मौके से वंचित रखा जा रहा है।
इससे पहले केस की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने मंगलवार को अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि महिलाओं को एनडीए परीक्षा में मौका न देना, उनके मूलभूत अधिकारों के हनन का मामला नहीं है। यही नहीं केंद्र सरकार ने कहा था कि एनडीए के जरिए आने वाले पुरुष कर्मचारियों को उनके मुकाबले करियर में कोई स्पेशल बढ़त नहीं मिलती। महिलाओं के लिए सेना में एंट्री का एकमात्र रास्ता शॉर्ट सर्विस कमिशन ही रहा है। बता दें कि बीते दिनों ही शीर्ष अदालत ने सेना से महिलाओं को भी परमानेंट कमीशन में लिए जाने को कहा था। यही नहीं अदालत ने सेना के नियमों को गलत करार देते हुए कहा था कि ये बेतुके और मनमाने हैं।
दरअसल वकील कुश कालरा की ओर से महिलाओं को एनडीए और इंडियन नेवल अकादमी में शामिल किए जाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की गई थी। उस याचिका पर सुनवाई करते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है। फिलहाल इन दोनों अकादमियों में महिलाओं की भर्ती नहीं की जाती। सुप्रीम कोर्ट ने इस अर्जी पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इस पर सरकार का कहना था कि यह अर्जी आम जनहित में नहीं है बल्कि एक पॉलिसी डिसिजन को लेकर ही है। इसी पर बुधवार को एक बार फिर से सुनवाई शुरू हुई, जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल और ऋषिकेश रॉय ने महिलाओं के पक्ष में यह फैसला दिया है।