उत्तर प्रदेश में दशक तक जमीनी राजनीति करत और सत्ताधारी रहे के बाजवूद महत्वाकांक्षाओं के पूरा करे में असफल रहे शिवपाल यादव अब अपन राह बदले जा रहल बाड़े। कभी मुलायम सिंह यादव के साथ यूपी में समाजावादी पार्टी के मजबूत करे वाला शिवपाल यादव भतीजे अखिलेश से आहत होकर अपन पुरान पार्टी के बड़ा झटका देवे के तयारी में बाड़े। कुछ साल पहले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के गठन करावे वाला शिवपाल यादव के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होखे के अटकलें बा।
बतावल जा रहल बा की भाजपा में शामिल होखे के बाद शिवपाल यादव के राज्यसभा भेजल जा सकत बा त उनकर बेटा आदित्य यादव के भाजपा उनकर सीट जसवंतनगर से उतारकर विधानसभा भेजे के कोशिश करी। रिकॉर्ड वोटों से जीते शिवपाल के जसवंतनगर सीट पर बेहद मजबूत पकड़ और आदित्य के ईहां आसानी से जीत हासिल हो सकत बा। यदि प्लान सफल होत बा त शिवपाल के जहां केंद्र के राजनीति में जगह मिली त प्रदेश में उनकर बेटा के स्थान मिल जाई, जेकर उनके लंबे समय से तलाश बा।
ई त बात भईल शिवपाल के फायदा के। बाकि दूसर महत्वपूर्ण सवाल यह भी बा कि शिवपाल के आवे से भगवा दल को का फायदा होई ? राजनीतिक विश्लेषकों और भाजपा के सूत्रों के मानल जाओ त पार्टी शिवपाल के सहारे एक तीर से कई निशाने साधे के कोशिश में बा।
भाजपा शिवपाल के अपने पाले में लाकर यादव बेल्ट में सेंध लगावे के कोशिश करल चाहत बा। इटावा, मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद और फर्रुखाबाद जैसे जिले सपा के गढ़ मानल जाला और यादवों के बड़ी आबादी के समर्थन से अधिकतर सीटों पर साइकिल के कब्जा होत रहल बा । यादव बेल्ट पर शिवपाल यादव के भी पकड़ बेहद मजबूत बा। उन्होंने दशकों तक इन इलाकों में गांव-गांव घूमकर काम कईले बाड़े। शिवपाल यादव के यहां के बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ व्यक्तिगत संबंध बतावल जाला। 2024 के चुनाव से पहले भाजपा यादव बेल्ट में अपन जमीन मजबूत करल चाहत बा।