Sunday, November 24, 2024
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क्यों मनाया जाता है गोवर्धन पूजा (Govardhan pooja) का पर्व , आइये जाने

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दीपोत्सव का पर्व शुरू हो चुका है। इस वर्ष धनतेरस 29 अक्तूबर को मनाई गई, जबकि दीपावली 31 अक्तूबर और 1 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है। दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा (Govardhan pooja) का पर्व आता है, जो प्रकृति और मानवता के बीच के संबंध को दर्शाता है। यह पर्व दिवाली के अगले दिन, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है।

उत्तर भारत, विशेषकर मथुरा और वृंदावन में गोवर्धन पूजा (Govardhan pooja) श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ी है, जबकि पश्चिमी भारत के गुजरात में यह दिन गुजराती नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस बार गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है। आइए जानें कि गोवर्धन पूजा (Govardhan pooja) क्यों की जाती है, इसे अन्नकूट क्यों कहते हैं और इस दिन किस देवता की पूजा का विधान है।

गोवर्धन पूजा का कारण

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार देवराज इंद्र ने अहंकार में आकर गोकुल में अत्यधिक वर्षा कर दी। इससे गोकुल वासी परेशान हो गए। तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और गोकुल वासी उसके नीचे आकर बारिश से सुरक्षित हो गए। गोवर्धन पर्वत, जो गोकुलवासियों की रक्षा के लिए प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता रहा था, उस दिन भी उनकी रक्षा के लिए खड़ा हुआ। श्रीकृष्ण ने इस बाल लीला से प्रकृति के महत्व को समझाया।

गोवर्धन पूजा को “अन्नकूट” क्यों कहते हैं?

मान्यता है कि जिस दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था, उसी दिन से गोकुल वासियों ने गोवर्धन पर्वत को छप्पन भोग अर्पित कर पूजा करना शुरू किया। इस पूजा में अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें विभिन्न सब्जियों, कढ़ी-चावल, पूड़ी, रोटी, खिचड़ी, बाजरे का हलवा आदि शामिल होते हैं। “अन्नकूट” का अर्थ है “भोजन का पहाड़।”

Govardhan pooja गोवर्धन पूजा
Govardhan pooja गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कि पहाड़, गाय, गोबर और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस परंपरा से आने वाली पीढ़ियां प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझेंगी और प्रकृति से जुड़ाव महसूस करेंगी। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा और परिक्रमा का भी बहुत महत्व है।

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