लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के अभी एक साल भी ना भयल, लेकिन उनके पार्टी और परिवार दोनों बिखरत नजर आ रहल बा। पिता जाते-जाते बेटे चिराग पासवान के हाथों में पार्टी की कमान सौंपी देले रहलें, लेकिन युवा नेता अब तक जेतने फैसले लेले बने उसमें कहीं भी सकारात्मक सफलता ना मिलल बा। पार्टी के अंदर चिराग के कार्यशैली के लेकर नाराजगी एतना बा कि चाचा पशुपति पारस की अगुवाई में चचेरे भाई प्रिंस पासवान समेत पांच सांसद एक अलग गुट बना लेले बाने। ई अभी साफ ना हो पीले बा कि ई गुट चिराग पासवान के ही पार्टी से बाहर कर देंही या कउनो दूसरे दल में शामिल होंई। इ पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के मास्टर माइंड बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मानल जा रहल बा। बात सामने आइलें के बाद पर पहला सवाल ई भी उथल कि साफ-सुथरी पॉलिटिक्स में विश्वास रखे वाले नीतीश कुमार आखिर ए तरह के फैसलन के अगुवाई कहें कर रहल बाने। ए राजनीतिक संकेत के जरिए समझने की कोशिश करल जाए कि आखिर नीतीश कुमार का असली निशाना कहां बा?
विधानसभा चुनाव में डैमेज के बदला लेबल चाहत बाने नीतीश!
चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होके अकेले मैदान में उतरे के फैसला कईले रहले। चिराग बिहार चुनाव में उन सीटों पर मजबूत प्रत्याशी उतराले जहां से जेडीयू के कैंडिडेट थे, वहीं जने सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी रहले उनपर अपनी पार्टी का कैंडिडेट ही नहीं उतारल रहलें। मानल जा रहल बा कि एसे जेडीयू के भारी नुकसान उठावे के पड़ल और मुख्यमंत्री नीतीश के पार्टी जेडीयू 43 सीटों पर सिमट गईल। वहीं बीजेपी 74 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रहल। बीजेपी के केंद्रीय टीम के दखल से नीतीश कुमार के एक बार फिर मुख्यमंत्री के कुर्सी मिल गईल, लेकिन नंबर गेम में पिछड़ने के चलते बीजेपी के राज्य ईकाई उनपर मनौवैज्ञानिक दबाव बनाइले बा।
मानल जा रहल बा कि चिराग पासवान के ओर से कयल गयल इस डैमेज के बदला लेवे के लिए नीतीश कुमार उनके पार्टी के ही तहस-नहस करे पर आतुर बाने। पहले एलजेपी के एक मात्र विधायक के जेडीयू में शामिल करइलें, अब पार्टी के छह सांसदन में से पांच के चिराग से अलग करने के पीछे भी इन्हीं का हाथ माना जा रहल बा। रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस के नीतीश से अच्छा रिश्ता बा। साथ ही पशुपति ना चाहत रहले कि बिहार चुनाव में एलजेपी नीतीश के विरोध करे, लेकिन चिराग पार्टी अध्यक्ष के तौर पर इ सलाह के नकार देले रहले, जेकर शायद उनके खामियाजा भुगते के पाद रहल बा।