न्यायपालिका में महिलाओं के भागीदारी के कमी के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कहलस कि अब महिलाओं के भारत क प्रधान न्यायाधीश बने के समय आ गयाल बा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कहलस कि महिला वकील अक्सर घरेलू जिम्मेदारि के हवाला देके जज बने से इनकार कर देबे ली। शीर्ष अदालत ने कहल गयल की महिला वकील के जल्द जज बनेके छाही ताकि उ वरिष्ठता क्रम में प्रधान न्यायाधीश के पद तक पहुंच सकें।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस संजय किशन कौल अउर जस्टिस सूर्यकांत के विशेष पीठ ने हाईकोर्ट में अस्थायी जज के नियुक्ति से जुड़ल मामला के सुनवाई के दौरान कहले कि हाईकोर्ट कॉलेजियम के महिला वकीलों में से जज चुने में कहें परेशानि आवेला। चीफ जस्टिस बोबडे कहले की, अक्सर देखल जाला कि जब महिला वकीलों के जज बने के प्रस्ताव देबल जाला, त घरेलू जिम्मेदारियों या बच्चों के पढ़ाई के हवाला देके जज बनेके प्रस्ताव ठुकरा देबेलि।
एके भी पड़ीं:आज घर से सुनवाई करिहें सुप्रीम कोर्ट के जज, कोर्ट के कई कर्मी संक्रमित
बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान वकील शोभा गुप्ता और स्नेहा कलिता ने पीठ से सुप्रीम कोर्ट महिला वकील एसोसिएशन की और से दायर याचिका पर भी गौर करने की गुहार लगाई। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में महिलाओं की भागीदारी कम है। ऐसे में महिला वकीलों को जज बनने का मौका दिया जाना चाहिए।
महिलाओं के सहभागिता अहम, पर पात्र प्रत्याशी भी जरूरी
पीठ के कहन बा कि समाज के विकास और लैंगिक समानता के खातिर न्याय वितरण प्रणाली में उनकी सहभागिता महत्वपूर्ण बा। हालांकि कोर्ट इस याचिका पर नोटिस जारी करे से इनकार कर देले बा। कोर्ट भरोसा दिखईलस कि उसके दिमाग में महिलाओं के हित है, लेकिन ओकरे खातिर योग्य उम्मीदवार के होखल जरूरी बा।