कोरोना के फिर से बढ़ते मामलों के बीच पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सांसें अटकी हुईं हैं। तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य में उपचुनाव कराने की मांग को लेकर आज यानी शुक्रवार को निर्वाचन आयोग से मुलाकात करेगा। तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल उपचुनाव लंबित हैं और उन्होंने पिछले महीने भी चुनाव आयोग से संपर्क किया था। राज्य में सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं और माना जा रहा है कि ममता बनर्जी खुद भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगी।
ममता की कुर्सी पर खतरा क्यों?
ममता फिलहाल विधानसभा की सदस्य नहीं हैं। हाल ही में विधानसभा चुनाव में उन्होंने नंदीग्राम से चुनाव लड़ा था, लेकिन यहां उन्हें भाजपा के शुभेंदु अधिकारी के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। इसके बाद भी ममता ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
ममता से पहले भी ऐसे कुछ मुख्यमंत्री रहे हैं जो मुख्यमंत्री बनते समय अपने राज्य की विधानसभा के सदस्य नहीं थे। बिहार के नीतीश कुमार ने तीन दशक से अधिक समय से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में भी वे प्रत्याशी नहीं थे। महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने भी चुनाव नहीं लड़ा है। ये दोनों विधानपरिषद के सदस्य हैं।
बिहार और महाराष्ट्र में विधानसभा और विधान परिषद के रूप में दो सदन है, लेकिन बंगाल में विधान परिषद नहीं है। ऐसी स्थिति में ममता को मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद छह महीने के अंदर विधानसभा सदस्य बनना होगा। वे खाली की गई किसी सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर सदन की सदस्य बन सकती हैं। संविधान का अनुच्छेद 164 कहता है कि एक मंत्री, जो विधायक नहीं है, को छह महीने में इस्तीफा देना होगा।